लेखनी कहानी -01-Sep-2022 सौंदर्या का अवतरण का चौथा भाग भाग 5, भाग-6 भाग 7 रक्षा का भारत आना ८- श्रेय

१३- श्रेया हॉस्पिटल में-

मां की बात मान कर दोनों मां के साथ गुझिया बनाने बैठ गई, और सासू मां अपनी समधिन से बातचीत भी करती जा रही थी। सभी एक साथ बैठे थे इसलिए जल्दी-जल्दी गुझिया बन रही थी। गुझिया बनाने के बाद सासू मां ने उन्हें तला, और अपने समधी समधिन को गुझिया परोसकर  कहा- लीजिए गरम गरम गुझिया खाइए। गरम गरम गुयझिया खाने का अलग ही मजा होता है। कहकर मानी प्लेट भरकर गुझिया मेज पर रख दी, सभी ने गरम गरम गुझिया का लुत्फ उठाया। कुछ देर रुकने के बाद श्रेया के माता-पिता जाने की तैयारी करने लगे। जाते समय उन्होंने सभी के लिए गिफ्ट निकाल कर दिए। तब श्रवन ने कहा- इसकी क्या जरूरत थी  मां जी। श्रेया की मां ने जबाव में बोला-अरे बेटी के घर आए हैं, और त्योहार का मौका है तो गिफ्ट तो बनता है।यह त्योहार का उपहार है, इसके लिए मना मत कीजिए। सभी ने खुशी-खुशी उपहार ले लिए उसके बाद से श्रेया के माता-पिता अपने घर को रवाना हुए। और बेटी को आशीर्वाद देते हुए उन्होंने कहा कि जल्द मुलाकात होगी। अब हम लोग तभी आएंगे जब हम नाना नानी बन जाएंगे। सभी ने कहा- जी जरूर आपका स्वागत है। सभी परिवारी जन श्रेया के माता-पिता को विदा कर घर के अंदर आ गए 

श्रेया बहुत थकी-थकी सी लग रही थी। उसे बहुत कमजोरी लग रही थी। श्रेया ने मां जी से कहा- मैं आराम करना चाहती हूं। सासू मां ने श्रेया को आराम करने के लिए कहा- कि अपने कमरे में जाओ और आराम करो।  श्रवन भी श्रेया के साथ ही कमरे में चला गया। बाकी सब लोग भी अपने अपने काम में लग गए। यूं तो त्योहार का दिन था तो सभी लोग होली खेल कर थक गए थे,और खाना पीना खा ही चुके थे। सभी लोग अपने अपने कमरे में आराम करने चले गए। कुछ ही घंटों में शाम हो गई थी। शाम होते ही सभी लोग उठे और बाहर हॉल में इकट्ठे हुए। सभी लोग बैठे बात कर ही रहे थे, कि श्रेया के कमरे से श्रेया के चीखने की आवाज आई।श्रवन भी बाहर हाल में ही बैठा था। श्रेया की चीखने की आवाज सुनकर श्रवन दौड़ा और जैसे ही कमरे में पहुंचा। उसने श्रेया को दर्द से तड़पते हुए देखा। श्रवन बहुत परेशान हो गया था, उसे समझ में नहीं आ रहा था। कि अब क्या करना चाहिए, उसने मां बाबूजी को पुकारा। इतने में परिवार के सभी लोग श्रवन के कमरे में पहुंच चुके थे। श्रवन ने तुरंत ड्राइवर को फोन किया। और श्रेया को गाड़ी तक पहुंचाने में सभी ने मदद की। तब तक ड्राइवर भी पहुंच चुका था, श्रेया को गाड़ी में लिटा कर श्रवन तुरंत अस्पताल की ओर रवाना हुआ। श्रेया के साथ उसकी सासू मां भी चल पड़ी थी, क्योंकि उन्हें श्रेया की बहुत चिंता हो रही थी। और मन ही मन भगवान से प्रार्थना कर रही थी। कि भगवान जो भी हो अच्छा हो घर में सभी सदस्य श्रेया के लिए भगवान से प्रार्थना कर रहे थे। कि भगवान सब अच्छा करना श्रेया को कोई तकलीफ ना हो और सब ठीक हो जाए।

उधर श्रेया दर्द से तड़प रही थी। ड्राइवर गाड़ी को तेज चला रहा था कि जल्द से जल्द अस्पताल तक पहुंचाना चाह रहा था,और वह कोशिश भी कर रहा था। श्रेया की सभी को बहुत फिक्र हो रही थी। सभी भगवान के पास बैठकर श्रेया के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जाप कर रहे थे।

श्रेया की तरफ देख देख कर श्रवन का दिमाग काम नहीं कर रहा था। उसे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था। उसने रास्ते में से ही डॉक्टर को फोन किया और सारी स्थिति बताई। डॉक्टर ने श्रेया को तुरंत हॉस्पिटल लाने के लिए कहा और खुद हॉस्पिटल पहुंचने के लिए बोला।घर से अस्पताल का रास्ता बहुत ज्यादा दूर नहीं था परंतु फिर भी श्रेया की चीखों अभी उस रास्ते को बहुत लंबा बना दिया था। यह महसूस हो रहा था कि रास्ता बहुत लंबा हो चुका है अब अस्पताल कब तक पहुंचेंगे यह चिंता सबको मन ही मन में खाए जा रही थी। और ड्राइवर के ऊपर भी बार बार तेज चलने को दबाव  बनाया जा रहा था। चिल्लाते चिल्लाते श्रेया होश खोने लगी थी। श्रवन उसकी यह दशा देखकर अंदर से टूट रहा था।उसकी आंखों से आंसुओं की अविरल धारा अविराम बहे जा रही थी। श्रेया की सासू मां अपनी बहू की ये दशा देखकर फूट फूटकर रोए जा रही थी।श्रवन श्रेया को सांत्वना देते हुए स्थिति को संभालने की कोशिश कर रहा था। श्रेया के मुख से एक ही शब्द निकल रहा था।श्रवन मेरे बच्चे को बचा लीजिए गा। मेरे बच्चे को कुछ नहीं होना चाहिए। यह सॉन्ग सुनकर श्रेया की सासू मां और श्रवण दोनों और ज्यादा रो रहे थे सिया की बातों से उन्हें लग रहा था कि वह अपने बच्चे को बचाना चाहती है अपने लिए उसे बिल्कुल चिंता नहीं है वह चाहती है किसका बच्चा इस दुनिया में आए। लेकिन श्रवन और सासू मां तो दोनों के लिए ही दुआएं कर रहे थे। उन्हें अपनी बहू और बच्चा दोनों चाहिए था। इतने में ड्राइवर ने अस्पताल तक पहुंचा ही दिया। श्रवन जल्दी से उतरा और स्ट्रेचर पर लिटाकर जल्दी से डॉक्टर के पास पहुंचाया। डॉक्टर ने श्रेया कोऑपरेशन थिएटर में सिफ्ट करने को कहा और श्रवन को बुला कर एक फॉर्म भरवाया। डॉक्टर ने श्रवन से फॉर्म भरने को कहा फॉर्म में लिखा था कि जच्चा और बच्चा दोनों में से किसी की जिम्मेदारी उनकी नहीं होगी अगर ऑपरेशन के दौरान किसी की भी मृत्यु हो जाती है तो। यह पढ़कर दारून दुख से श्रवन की छाती फटी जा रही थी। परंतु कर भी क्या सकता था। हस्ताक्षर तो करने ही थे। हस्ताक्षर न करने पर डॉक्टर ऑपरेशन करने को तैयार नहीं थे। सामान्यत: ऐसा ही होता है।श्रवन ने हस्ताक्षर किया और डॉक्टर से हाथ जोड़कर विनती  की कि कृपया पूरा ध्यान दें। और दोनों को बचाने की कोशिश करें। डॉक्टर ने भी श्रवन को सांत्वना दी। कि फॉर्म साइन करवाया जाता है, कभी-कभी ऐसा होता है। नहीं तो हर केस में कोई दिक्कत नहीं होती है। दोनों को बचा लिया जाता है।और मैं पूरी कोशिश करूंगा कि श्रवन और उसके बच्चे दोनों को सुरक्षित रख पाऊ। भगवान पर भरोसा रखो और दुआ करो भगवान बड़ा कारसाज है। सब कुछ अच्छा करेगा और  उनकी कृपा श्रेया और उसके बच्चे दोनों पर ही रहेगी‌। श्रवन ने जल्दी से फॉर्म पश्र पर साइन किया है साइन होते ही डॉक्टर ऑपरेशन थिएटर मे गए और उन्होंने पहले तो श्रेया की सोनोग्राफी की जिसमें उन्होंने जो भी जाना और देखा कि बच्चा ठीक था। जल्दी से ऑपरेशन करके बच्चे को निकाल लेना ही एक मात्र था। ऐसा करके ही बचा सकते थे नहीं तो बच्चे की जान को खतरा था इसलिए उन्होंने तुरंत ऑपरेशन करके बच्चे को सुरक्षित निकाल लिया गया। और बच्चा बिल्कुल  ठीक  था।

चेकअप के बाद नहला धुला कर सासु मां को और श्रवण को दिखाकर अंदर ही लिटा दिया गया। जो अंडर ऑब्जर्वेशन था। परंतु श्रेया को अभी होश नहीं आया था। श्रेया अभी बेहोश ही थी। डॉक्टर  के चेहरे पर उदासी के बादल मंडराते देखे जा सकते थे। डॉक्टर श्रेया के होश में आने का इंतजार कर रहे थे, उनको डर था कि कहीं श्रेया के साथ कोई परेशानी या अनहोनी ना हो जाए। अब श्रवन के परिवारी जन अस्पताल पहुंच चुके थे । और वह और श्रवन सभी बार-बार डॉक्टर से श्रेया के बारे में पूछ रहे थे। डॉक्टर ने श्रवन को बताया कि हम भी श्रेया के होश में आने का इंतजार कर रहे हैं जब तक श्रेया को होश नहीं आता।तब तक कुछ भी नहीं कह सकते। होश में आने के बाद ही श्रेया खतरे से बाहर होगी। अभी श्रेया की हालत बड़े खतरे में ही है जिसका हम पूरी तौर से ध्यान रख रहे हैं। डॉक्टर ने बड़ी मायूसी भरे स्वर में कहा- कि में श्रेया के लिए बहुत चिंतित हूं। जब तक श्रेया को होश नहीं आ जाता मैं कहीं नहीं जाऊंगा।

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16 Comments

Pallavi

10-Sep-2022 11:04 PM

Nice post

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Chirag chirag

10-Sep-2022 06:46 PM

Very nice

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Seema Priyadarshini sahay

10-Sep-2022 06:17 PM

बेहतरीन भाग

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